लेखनी प्रतियोगिता -14-Mar-2023 हाथ थामना
शीर्षक-हाथ थामना
जब दुनिया में खोली आंखें,
मां का चेहरा आया सामने,
मां मेरा हाथ थामे।
मां के आंचल में पली,
बापू का हाथ थामे चली,
फिर एक पगला आगे बढ़ी।
हुई थोड़ी सी बड़ी,
स्कूल की और मैं चली,
ज्ञान की ओर बढ़ी।
हाथ में कलम पकड़ी,
गुरुजी के पढ़ाये शब्द लिखती,
धीरे-धीरे में आगे बढ़ती।
फिर हुई थोड़ी सी बड़ी,
फिर मैं लेखिका बनी,
अपने भावों को जड़ी।
हाथ में कलम थाम कर,
सभी श्रृंगार सजाकर,
शब्दों में सजाती अलंकार।
योवन की उम्र आई,
बाबुल के घर से हुई पराई,
पति के साथ हाथ थाम कर बढ़ी।
जब आई वृद्धावस्था की आयुष,
हो गया जीवन मायूस,
हाथ ने थामी लाठी।
जीवन का सहारा बनी,
मेरी अर्थी के संग चली,
श्मशान में मेरे संग जली।
यही है मेरी कहानी,
मुंह की जुबानी ,
सदा हाथ ने थामी।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा प्रिया
Shashank मणि Yadava 'सनम'
15-Mar-2023 07:55 AM
बहुत सुंदर सृजन
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Reena yadav
14-Mar-2023 11:39 PM
👍👍
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Gunjan Kamal
14-Mar-2023 11:35 PM
सुंदर प्रस्तुति
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